शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2012

मज़ा आ जाये अबकी सावन में, गर ऐसा हो जाये,
हमारी आँख के आंसू, तुम्हारी छत पे जा बरसे 
 वो दुश्मनी से देखते है, पर देखते तो है,
मैं शायद हूँ, हूँ तो किसी की निगाह में .
इन सूखती फसलों ने देखे है वो काले बादल,
जो कही और बरसने को इधर से गुजरे.

शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

अच्छे लगेंगे

ये गली कूंचे बड़े अच्छे लगेंगे
ये मंज़र दूर से अच्छे लगेंगे
अभी सूरज हमारे सामने है
यह किस्से दिन ढले अच्छे लगेंगे
निगाहों में अभी है ख्वाब रोशन
अभी तो रतजगे अच्छे लगेंगे
ज़रा दो चार सदमे और सह लो
हमारे फलसफे अच्छे लगेंगे
हमरी मंजिले बेकार लेकिन
हमारे रास्ते अच्छे लगेंगे
हमारे पास क्या शोहरत न दौलत
उन्हें हम क्यों अच्छे लगेंगे?

तुम रूठे

जग रूठे तो बात ना कोई,
तुम रूठे तो प्यार ना होगा,
मनिओं में तुम ही तो कौस्तुभ, 
तारों में तुम ही तो चंदा,
नदियों में तुम ही तो गंगा,
गंधों में तुम ही निशिगंधा,
दीपक में जैसे लौ-बाती,
तुम प्राणों के संग-संगाती,
तन बिछुडे तो बात ना कोई,
तुम बिछुडे सिंगार ना होगा,
जग रूठे तो बात ना कोई,
तुम रूठे तो प्यार ना होगा.          

कहानी

अभी  कुछ दिन पहले मैंने एक कहानी पड़ी थी, अच्छी लगी आपको भी सुना रहा हूँ ......  एक गाँव में आग लग गई ... भयंकर आग....गाँव वाले आग बुझाने में लगे थे....कोई बाल्टी से डाल रहा था तो कोई आग पर रेत फ़ेंक रहा था ... मतलब हर आदमी आग बुझाने में लगा था .... एक नन्ही गौरैया भी ये देख रही थी .... उसने भी तालाब से अपनी चोंच में पानी भरा और आग पर डालने लगी .... पास ही पेड़ पर बैठा एक कौवा ये देख कर बोला... ये आग तेरे चोंच में भरे पानी से नही बुझेगी .... तब गौरैया ने जबाब दिया कि मैं ये तो नही जानती कि ये आग बुझेगी या नही मगर मैं इतना जरूर जानती हूँ कि जब भी इस आग का जिक्र होगा मेरा नाम इस आग को लगाने में या इसका तमाशा  देखने वालों में नही होगा. 

बेटियाँ

बोए जाते है बेटे, उग आती है बेटियाँ
खाद पानी बेटों को, पर लहलहाती है बेटियाँ,
एवरेस्ट तक ठेले जाते है बेटे,पर चढ़ जाती है बेटियाँ
रुलाते है बेटे, और रोती है बेटियाँ
कई तरह से गिराते है बेटे, पर संभाल लेती है बेटियाँ
पढाई करते है बेटे, पर सफलता पाती है बेटियाँ
कुछ भी कहिये, कुछ भी लिखिए

पर अच्छी ही होती है बेटियाँ

तुम्हारी हँसी

सुनो,
तुम्हारे पास बेहद हँसी है
एक अंजुरी भर दे दो
पर बदले मैं कुछ ना मांगना,
मेरे पास सिर्फ़
उदासी है

मेरे पास सिर्फ़ उदासी है
ऐसा क्यों है
ना ग्रीष्म बताता है
और ना ही शरद
और जब आता है बसंत
तब मेरे अन्दर भी उगने लगते है
सूखे पत्ते
उन पत्तो को हरा कर सकती है
तुम्हारी हँसी ..........

तुम्हारे पास बेहद हँसी है
एक अंजुरी भर दे दो
पर बदले मैं कुछ ना मांगना,
मेरे पास सिर्फ़ उदासी है

आई लव यू

जब सो जाती है सारी दुनिया
चुपके से आकर चाँद
खड़ा हो जाता है
मेरी खिड़की के सामने
और मुस्कुरा कर कहता है
खोज लो मुझमे वह चेहरा
जिसकी तलाश में हो तुम ,
हवाएं खड़का के सांकल
पूछती है बहुत उदास हो ना
अगली बार जब लोतुंगी
सपनो के देश से
जरूर ले के आउंगी
उसका पता ,
बादल कहते है हम तो
यायावर है
भटकते है देश विदेश
कभी चलना हमारे साथ
मिल कर ढूढेंगे उसे,
चाँद, सितारे, कोयल, भोरे,
सब करते है तुम्हारी ही बातें
मैं सुनता हूँ चुपचाप
और सबके चले जाने के बाद
धीरे से बोलता हूँ एक शब्द
मैं जानता हूँ तुम जहाँ हो
जहाँ कही भी हो
ज़रूर सुन लोगी
मेरे ये शब्द
आई लव यू .......