शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

तुम रूठे

जग रूठे तो बात ना कोई,
तुम रूठे तो प्यार ना होगा,
मनिओं में तुम ही तो कौस्तुभ, 
तारों में तुम ही तो चंदा,
नदियों में तुम ही तो गंगा,
गंधों में तुम ही निशिगंधा,
दीपक में जैसे लौ-बाती,
तुम प्राणों के संग-संगाती,
तन बिछुडे तो बात ना कोई,
तुम बिछुडे सिंगार ना होगा,
जग रूठे तो बात ना कोई,
तुम रूठे तो प्यार ना होगा.          

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